समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका

Sunday, December 3, 2017

मन गुलाम फिर भी आजादी की चाह है-दीपकबापूवाणी


विकास अब धुंध बनकर खड़ा है,
सौम्य सुबह में धुआं जड़ा है।
‘दीपकबापू’ अंधे लेते रौशनी का ठेका
उनकी लगाई आग में शहर खड़ा है।
---
मत पूछना हिसाब उनसे
उनके खाते बहुत बड़े हैं।
‘दीपकबापू’ तुम पड़े जमीन पर
वह दौलत के पहाड़ पर खड़े हैं।
----
कोई कहता है ख्वाहिशें छोड़ दो,
कोई उकसाता दिल में नई जोड़ दो।
‘दीपकबापू’ चीजों के गुलाम कहें
नयी खरीदो पुरानी जल्दी तोड़ दो।
---
मन गुलाम फिर भी आजादी की चाह है,
लालच का अवरोध बंद सभी राह है।
‘दीपकबापू’ तन से बुरा आलस मन का
योद्धा पूजे सोते शव को किसने सराह है।
-

लोकप्रिय पत्रिकायें

विशिष्ट पत्रिकायें

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर